परिश्रम से ही समाज और देश के उत्थान में महती भूमिका निभाया जा सकता है: प्रो जैनेंद्र कुमार सिंह
महेंद्र कुमार यादव
चतरा: हंटरगंज के राम नारायण मेमोरियल डिग्री महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो जैनेंद्र कुमार सिंह ने कोरोना काल में लॉक डॉन के समय को व्यर्थ नहीं किया बल्कि समय का सदुपयोग करते हुए कॉलेज परिसर में लगे औसोधी गार्डन और फूल के बागीचे को पूर्ण रूपेण देख भाल किया जिस से पुरा गार्डन आज भी हरा भरा नजर आ रहा है। वहीं अपने खेतों में भी इतना मेहनत किया है कि इस तपिश कि गर्मी में कई कठ्ठा में ओल, भिंडी, परोर,झिंगी ,हरी मिर्च, आम, नीबू, कद्दू खीरा, पपाया और धनियां कि पत्ती का उपज कर समाज के युवाओं को स्वलंबी बनाने के प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं उन्होंने कहा कि समाज के नवयुवक पढ़े लिखे युवाओं को ऐसे परिश्रम से मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने का कार्य किया जा सकता है। श्री सिंह ने कहा कि परिश्रम से जहां स्वास्थ् का लाभ मिल रहा है वही आर्थिक रूप से भी लाभान्वित हो रहा हूं। परिश्रम करने से कई ला इलाज बीमारियों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने आगे कहा कि को रोना के संक्रमण के चपेट में आने के बावजूद भी हमने अपना इमोनो सिस्टम डेवलप करने के लिए पपाया का उपयोग बड़े पैमाने पर किया। साथ ही ठीक होने के बाद परिश्रम कर रहा हूं। जिसके फलस्वरूप आज मैं पहले से बेहतर स्वास्थ्य हूं।समाज के बेरोजगार युवाओं को सवलंबी बनाने लिए एक छोटा सा प्रयास है।ऐसे कार्यों को जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन करने से समाज और देश के उत्थान में युवा महती भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने ने कहा कि पूर्व में कृषि वैज्ञानिक डॉ रंजन प्रसाद के हाथो कृषि के क्षेत्र में बेहतर कार्य किए जाने के फल स्वरूप प्रशस्ति पत्र और नगद राशि इनाम के रूप में प्राप्त हुआ है उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में और भी बेहतर कार्य किए जाने की योजना है परंतु आधुनिक तकनीकी और कृषि औजार नहीं मिलने के कारण नहीं कर पा रहा हूं अगर कृषि विभाग से कृषि उपयोगी सामान मिल जाए तो शिक्षा के साथ-साथ कृषि के भी गुणों से पासपोर्ट हुए छात्र छात्राओं को औवगत कराया जा सकता है।
उन्होंने में कहा कि आज सरकारी आदेश के फलस्वरूप पौधा रोपण का कार्यक्रम विरहत पैमाने पर किया जा रहा है ।इस कार्य के लिए सभी धन्यवाद के पात्र हैं परन्तु सिर्फ पौधा लगा देने से ही पौधा रोपण का कार्यकर्म समाप्त नहीं होगा बल्कि अपने बच्चों के तरह ही उस पौधे का देख भाल कि जिम्मदारी भी स्वयं लेना होगा तभी यह कार्यक्रम सफल होगा।