खूंटी: खूंटी जिले में शिक्षा विभाग लगातार सुर्खियों में रहता आया है। पूर्व की तरह फिर से वेतन रोकना और शिक्षकों को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। इस बार मामला 10 अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों के 145 शिक्षकों का तीन माह से लंबित वेतन भुगतान को लेकर है। लंबित वेतन भुगतान मामले में जब सबंधित विद्यालयों के शिक्षक डीएसई के पास संघ के माध्यम से पहुंचे तो डीएसई सीधे शब्दों में कहते हैं आपलोगों का काम हो जाएगा,लेकिन शिक्षकों का कहना है कि संघ के माध्यम से शिक्षा विभाग कार्यालय पहुंचने पर डीएसई कहते है कि काम हो जाएगा लेकिन करते नहीं हैं,टालते रहते हैं। जिला शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी डीडीसी अरुण कुमार ने कहा कि डीएसई की पर लगते आरोप गंभीर है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी और इस बार डीएसई के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होगी। उन्होंने ये भी कहा कि डीएसई की मंशा पर सवाल उठना वाकई शिक्षा विभाग के लिए बड़ा सवाल है।
अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक अपने मेहनताना के लिए लगातार जिला शिक्षा विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। कई शिक्षकों ने आशंका जतायी है कि संघ के माध्यम से लंबित वेतन की मांग करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है,लेकिन यदि एक-एक शिक्षक अलग-अलग शिक्षा विभाग के चक्कर लगाएगा तो चढ़ावा चढ़ाने से काम बनने के आसार हैं। शिक्षकों ने यह भी बताया कि बगैर चढ़ावा के शिक्षा विभाग में फ़ाइलें धूल फांकती हैं और शिक्षकों को सिर्फ आश्वासन मिलता रहता है कि आपलोगों का काम हो जाएगा। लगातार डीएसई द्वारा काम हो जाएगा,काम हो जाएगा यह लाइन सुन-सुन कर खूंटी जिले के अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक थक गए हैं। ऐसे में अब शिक्षक क्या करें,क्या न करें यह उनकी समझ शक्ति से बाहर है।
अल्पसंख्यक शिक्षकों ने बताया कि डीएसई की मंशा हर काम मे टालमटोल की रही है और चढ़ावा देकर काम करना उनका पेशा बन गया है। शिक्षकों का कहना है कि कोविड सर्टिफिकेट के बाद वेतन देंगे। सर्टिफिकेट देने के बाद भी वेतन देने पर टाल मटोल करने से डीएसई की मंशा पर सवाल उठना तो लाजिमी है क्योंकि पूर्व में भी लगभग 1000 शिक्षकों ने रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था। डीएसई की रिश्वतखोरी की खबर को हमारे चैनल ने प्रमुखता से चलाया था उसके बाद जिला प्रशासन ने सभी 1000 शिक्षकों का वेतन भुगतान कराने का निर्देश दिया था। लेकिन लगभग एक वर्ष के भीतर फिर से अल्पसंख्यक शिक्षकों ने रिश्वतखोरी का आरोप लगा दिया। इधर डीएसई ने कहा कि उनपर लगे सभी आरोप बेबुनियाद है जबकि डीडीसी ने कहा कि इस बार जांच कर कार्रवाई होगी और शिक्षकों का लंबित वेतन का भुगतान भी होगा।
अब देखना दिलचस्प होगा कि खूंटी जिले के अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को अपने लंबित वेतन भुगतान के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे। एक तरफ शिक्षक भी डटे हैं कि इस बार शिक्षा विभाग में शिक्षक संघ के माध्यम से ही काम करवाना होगा लेकिन लगातार हवा हवाई आश्वासन मिलते रहने से खूंटी के डीएसई महेंद्र पाण्डेय पर कई सवाल उठने लाजिमी हैं।