झारखण्ड आन्दोलन के जन नायक टेकलाल महतो के पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित है
रामगढ़ से वली उल्लाह की रिपोर्ट
रामगढ़: झारखंड आंदोलन में झारखंड के वादियों में एक नाम गुंजता था लाखों में एक लाल टेकलाल, टेकलाल सचमूच टेकलाल महतो एक जन नेता थे। विनोद बिहारी महतो और दिशोम गुरू शिबू सोरेन के साथ आन्दोलन के समय सहपाठी रहे और छोटा नागपुर के कोयलांचल में आन्दोलन का नेतृत्व किए। शोषन जुल्म अत्याचार के विरुद्ध और जन मुद्दों को लेकर कई आंदोलन ऐतिहासिक स्मरणीय है। पुलिस जुल्म के खिलाफ बिष्णुगढ़ में हुका पानी बंद आन्दोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। कोयलांचल में विस्थापन और रोजगार को लेकर आंदोलन लोग नहीं भूल सकते हैं। टेकलाल चाचा के व्यवहार से विरोधी लोग भी कायल हो जाते थे।
एक दिलचस्प घटना स्मरण है,टेकलाल चाचा पर माले के लोगों ने हमला कर दिया था।कुछ दिनों बाद एक माले का नेता कोई काम से टेकलाल चाचा के पास गया था,हमलोगो के विरोध के बावजूद टेकलाल चाचा ने काम कर दिया।हमने जब टेकलाल चाचा से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया तो समझाते हुए कहा कि राजनीति में दोस्त और दुश्मन नहीं होता है लोगों का विचार बदलते रहता कल हमारा विरोधी था तो आज हमारा समर्थक भी हो सकता है। धन्य है ऐसा सोच के महापुरुष,आज के समय मिलना संभव नहीं है।
झारखंड आंदोलन और जन मुद्दों,जल जंगल और जमीन एवं रोजगार के आन्दोलन में हमेशा मुखर रहे। स्व टेकलाल महतो के सोच और सपनों का झारखण्ड निर्माण की आवाश्यकता है।लेकिन हमलोगो ने जिसे उनका उत्तराधिकारी बनाया,वह विचारधारा से भटक गया है। टेकलाल चाचा ने कभी नीति और सिद्धांत के साथ समझोता नहीं किया पार्टी के अंदर कुछ मुद्दों को लेकर विवाद हुआ उसने अलग पार्टी बनाई लेकिन कोई दूसरे दल में नहीं गया। लेकिन आज उनके उत्तराधिकारी जिनके विरुद्ध टेकलाल महतो जीवन्त भर संघर्ष किए,उन्ही लोगो के गोद में चले गए। टेकलाल महतो के पुण्य तिथि पर उनके सपनों को पूरा करने का संकल्प ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।