जावेद अख्तर की रिपोर्ट
हनवारा : एक दिन पूर्व बुधवार की शाम को आंधी- तूफान आने से पानी के लिए हाहाकार मच गया। इस तरह की बात से कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा कि आंधी- तूफान से भला पानी का क्या लेना देना! लेकिन आपको मानना पड़ेगा कि आंधी, तूफान लोगों के लिए मुसीबत बन गई। एक तरफ तो जान माल की क्षति और दूसरी तरफ पानी के लिए हाहाकार।अब इस संकट की घड़ी में कौन देगा मजबूर गरीब जनता का साथ!
आपको बताते चलें कि बुधवार की शाम जोरदार तूफान से क्षेत्र की बिजली व्यवस्था ठप पड़ी हुई है। एक लाख बीस हजार वोल्ट का तार धनकुंडा और दियाजोरी के बीच मे 33 हजार तार पर गिर गया है। 11 हजार का भी तार अधिकांश जगहों पर गिरा पड़ा है।
उधर,महागामा प्रखंड के अंतर्गत लगभग सभी गांवों के चापाकलों की स्थिति खराब हो गई है। 29 पंचायत के सभी गांवों का चापाकल खराब पड़ा हुआ है।
इस ओर न ही स्थानीय विधायक ध्यान दे रहें हैं और न ही पेयजलापूर्ति विभाग । आखिरकार लोग बिना पानी के जीवन यापन करें तो कैसे? जब बिजली रहती है तो आसपास में निजी समरसेबल से पानी लेकर आवश्यक कार्य करते हैं। लेकिन सिर्फ एक दिन बिजली क्या गायब हुई, पानी के लिए हाहाकार मच गया।
अब सवाल यह खड़ा होता हैं कि क्या जनता को पीने के पानी के लिए भी दर दर भटकना पड़े, तो लानत है चरमराई व्यवस्था पर। लाचार विभाग पर एवं लापरवाह सरकार पर। क्यों छोड़ दिए हैं गरीब जनता को उसके हाल पर? जनता परेशान हो गई है पानी के लिए गुहार लगाते लगाते। लेकिन गरीब जनता की दर्द सुने तो कौन?