खूंटी: प्रदान एवं झारखण्ड सी.एस.ओ. फोरम के तत्वाधान में विश्व आदिवासी दिवस पर एक वर्चुअल क्रार्यक्रम का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम में झारखण्ड, उड़ीसा एवं मध्यप्रदेश के आदिवासी बन्धुओं भागीदारी निभायी। इस कार्यक्रम का औपचारिक शुरुआत प्रदान संस्था के कार्यकारी निदेशक नरेन्द्रनाथ दामोदरन के द्वारा किया गया l इस पुरे कार्यक्रम का सञ्चालन गुंजल मुंडा एवं जसिन्ता केरकेट्टा के द्वारा किया गया |
यह कार्यक्रम में छोटे-छोटे विडिओ प्रस्तुत कर आदिवासी समाज के सस्कृति, उनके खान-पान, रहन-सहन आदि के बारे में समझने की कोशिश की गयी साथ ही साथ आदिवासी समाज से कई शुभचिंतकों द्वारा अपने समाज के बारे में लोगों को अवगत कराया | कार्यक्रम के बीच-बीच में श्री गुंजल मुंडा जी एवं सुश्री जसिन्ता केरकेट्टा जी के द्वारा कई कविताओं एवं गीत के माध्यम से आदिवासी संस्कृति के बारे में रूबरू कराया |
प्रदान द्वारा आदि- AADI रिपोर्ट की झलक दी गयी :
विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर, प्रदान ने भारत की पहली वार्षिक आदिवासी विकास सूचकांक रिपोर्ट (आदि-AADI) की घोषणा की है। पहले वर्ष में, रिपोर्ट झारखंड और ओडिशा में आदिवासी आजीविका की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करेगी। वर्तमान अध्ययन 4000 से अधिक यादृच्छिक रूप से चयनित आदिवासी परिवारों के आंकड़ों पर आधारित है; 25 से अधिक गांवों में फोकस ग्रुप डिस्कशन; और आदिवासी समुदायों पर 30 से अधिक विशेषज्ञों के साथ व्यापक साक्षात्कार पर आधारित है । प्रदान ने सकारात्मक पहल शुरू करने के प्रयास में सभी प्रमुख हितधारक समूहों के बीच रिपोर्ट का प्रसार करने की योजना बनाई है। इस प्रकार का रिपोर्ट भारत का पहला रिपोर्ट होगा |
अध्ययन के दौरान उनकी प्रगति, विकास और आजीविका पर पर्याप्त गुणात्मक और मात्रात्मक डेटा हासिल किया गया है।
अध्ययन से पता चलता है कि:
– खाद्य सुरक्षा और पोषण के मामले में आदिवासियों की आजीविका के परिणाम चिंता का एक प्रमुख कारण पाए गए हैं। झारखंड में मोटे तौर पर 54% आदिवासी परिवारों और ओडिशा में 69% को UNWFP मानदंडों के अनुसार “स्वीकार्य खाद्य खपत की स्थिति” के रूप में पाया गया है, जो भूख के महत्वपूर्ण प्रसार को दर्शाता है।
– वे अपने खेतों में पर्याप्त भोजन का उत्पादन करने में असमर्थ होने के कारण पलायन करने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं
– गैर-आदिवासियों की तुलना में महिलाओं को अधिक स्वायत्तता प्राप्त है।
– और यह कि आदिवासी प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने पर अधिक जोर देते रहते हैं
वार्षिक आदिवासी विकास सूचकांक रिपोर्ट (आदि-AADI) के माध्यम से प्रदान संस्था देश में रहनेवाले आदिवासी समुदायों की वास्तविकता एवं उनकी जानकारी को मुख्यधारा में लाना चाहता है। जैसा कि 2011 की जनगणना में पता चला है, अनुसूचित जनजाति देश की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत और कुल ग्रामीण आबादी का 11.3 प्रतिशत है। आदिवासी विकास कार्यक्रमों के परिणामों के बारे में जानकारी की कमी को दूर करने और आदिवासियों की स्थिति में सुधार के तरीके खोजने में सभी हितधारकों को शामिल करने के लिए आदिवासी आजीविका पर एक आवधिक स्थिति रिपोर्ट रखने का विचार पैदा हुआ था। इसका उद्देश्य उपयुक्त नीति और अभ्यास को सुविधाजनक बनाने और उनकी स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए साक्ष्य उत्पन्न करना है।
आगामी रिपोर्ट के बारे में बोलते हुए, PRADAN के इंटीग्रेटर मानस सत्पथी ने कहा, “सतत विकास लक्ष्य (SDGs) 2030 तक सभी रूपों और आयामों में गरीबी को समाप्त करने का एक साहसिक संकल्प है। हालांकि, सबसे कमजोर लोगों को शामिल किए बिना इन्हें हासिल नहीं किया जा सकता है। आदिवासियों के बीच गरीबी व्यवस्थित उदासीनता का परिणाम है, जिसने उन्हें शक्तिहीन बना दिया है। इसके लिए स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें आवाज देने के लिए एक निरंतर और जानबूझकर प्रयास की आवश्यकता होगी; अवसर और विकल्प पैदा करें और इस तरह एजेंसी की भावना को बढ़ावा दें। ”
इस कार्यक्रम का समापनमानस सत्पथी के द्वारा धन्यवाद् ज्ञापन देकर किया गया l कार्यक्रम में फेसबुक लाइव , यूट्यूब लाइव एवं वेबिनार के माध्यम के माध्यम से करीब 2000 लोगों ने भाग लिया l कार्यक्रम में प्रदान के दिब्येंदु ,पारिजात, सपर्नो, सुधीर, प्रेमशंकर , झारखण्ड सीएसओ फोरम की ओर से विवेक, माधव, किरण , धनञ्जय आदि सहित ग्रामीण युवा शामिल हुए l