महुआडांड़: पास्का का पर्व ख्रीस्तीयों के लिए तीन दिवसीय समारोह होता है।सबसे पहले खजूर रविवार के द्वारा हम पवित्र सप्ताह में प्रवेश करते हैं ।
उसके बाद पुण्य बृहस्पतिवार के दिन हम कृतज्ञता के साथ प्रभु येसु के दुख भोग, मृत्यु एवं पुनरुत्थान के साथ साथ पूराने यहूदियों के पास्का त्यौहार का नए विधान के पास्का त्यौहार में परिवर्तन की याद करते हैं । यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। ने पुण्य बृहस्पतिवार को महुआडांड़ माता पल्ली में विशेष विनीत पूजा कराई ।जहाँ उन्होंने ने कहा की ईश्वर से सबसे पहले प्रेम करो और अपने आसपास लोगों को प्रेम करो यही आज के लिए विशेष विनीत है।
उन्होंने बताया कि नया व्यवस्थान में प्रभु येशु ख्रीस्त अपने दुखभोग,मृत्यु और पुनरुत्थान के पहले अपने शिष्यों से अंतिम विदाई लेते हैं । सबसे पहले उन्होंने अंतिम ब्यारी की, शिष्यों के साथ अंतिम बार भोजन किया । भोजन के समय उन्होंने विनम्रता की शिक्षा दी वे भोजन से उठकर गमछा लपेटकर अपने शिष्यों के बारे बारी से पैर धोए और पवित्र यूखरिस्त की स्थापना करते हुए वे कहते हैं मेरी यादगारी में तुम यह किया करो और इस तरह उन्होंने पुरोहिताई संस्कार की स्थापना की । फिर इस समारोह को वे एक दूसरे से प्रेम करने की शिक्षा के साथ अंत करते हैं।
इसीलिए पुन्य बृहस्पतिवार को हम प्रभु येशु के इन्हीं तीन चीजों की याद करते हैं पहला -उन्होंने अंतिम ब्यारी की जिसमें उन्होंने पवित्र यूखरिस्त तथा पुरोहिताई संस्कार की स्थापना की । दूसरा उन्होंने शिष्यों के पैर धोकर विनम्रता की शिक्षा दी, तीसरा उन्होंने कहा एक दूसरे से प्यार करो जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया है।
इस तरह प्रेम की शिक्षा दी। आज आज के समारोह का लक्ष्य यही है कि हम नम्रता और निस्वार्थ भावना से सेवा करें। एक दूसरे के प्रति प्रेम करें एक एकता एवं एक दूसरे के लिए दुख स्वीकार करें पवित्र पर्व प्रसाद को आदर पूर्वक ग्रहण करें । फादर पतरस सहित अन्य फादर द्वारा महुआडांड़ पल्ली से चुने हुए बारह व्यक्तियों के पैर धोकर येसु मसीह द्वारा अपने शिष्य का पैर धोकर अंगवस्त्र दिये थे। उस याद करते उनके अनुसार फादर भी पैर धोकर अंगवस्त्र दिये ।
इस पवित्र मिस्सा बलिदान में बडे़ फादर सुरेश, फादर दिलीप, फादर एमके जोश, बरथोलोमी, समीर, रौशन, सहित कई अन्य पुरोहित भाग लिऐ। इस पुण्य बृहस्पतिवार को भारी संख्या में ईसाई धर्मावलंबियों ने भाग लिया इस सफल बनाने में हेड प्रचार आन्नद, सिस्टर स्वाति, फादर रौशन, महिला संघ, युवा संघ का योगदान रहा। इधर साले,गोठगांव, पकरीपाठ, तुन्दटोली ,चेतमा दौना,चोरोपाठ के चर्च में भी विशेष प्रर्थाना एवं अन्य पूजा विधि हुई।