- भाजपा ने तीन महिला प्रत्याशी उतार कर की है आधी आबादी को रिझाने की कोशिश
अभय पलिवार की रिपोर्ट
गोड्डा : 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है।
भारतीय जनता पार्टी जहां राज्य की 13 सीट पर चुनाव लड़ रही है, वहीं सहयोगी आजसू पार्टी के लिए एक सीट छोड़ी गई है। सूबे की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुकी भाजपा ने तीन महिलाओं को प्रत्याशी बनाकर आधी आबादी को उचित प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। वहीं भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए ताना-बाना रचने वाली इंडी गठबंधन की ओर अब तक सीटों के बंटवारा की आधिकारिक घोषणा तक नहीं की गई है।
यह बात दीगर है कि कांग्रेस की ओर से तीन प्रत्याशियों की घोषणा अब तक की गई है। लेकिन प्रत्याशियों की सूची में किसी महिला का नाम नहीं है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि राज्य में सत्तारूढ़ इंडी गठबंधन में सीटों का बंटवारा करीब करीब हो गया है। राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 6 सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा, 7 सीट पर कांग्रेस एवं एक सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है। लेकिन जब तक आधिकारिक घोषणा नहीं होती है, तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता है।
महिलाओं को संगठन एवं सरकार में उचित भागीदारी देने में कांग्रेस पीछे
देश की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन एवं सरकार में महिलाओं को उचित भागीदारी देने का ढिंढोरा पीटती रही है। महिलाओं को लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में एक तिहाई आरक्षण देने की बात कांग्रेस पार्टी जोर-शोर से करती रही है।
लेकिन झारखंड के राजनीतिक हालात चीख चीखकर कह रहे हैं कि महिलाओं के सवाल पर कांग्रेस की कथनी एवं करनी में भारी विरोधाभास है। दरअसल, महिलाओं के सवाल पर कांग्रेस की नीति हाथी के दांत की तरह है। खाने एवं दिखाने का अलग-अलग। कम से कम झारखंड के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं के मुद्दे पर कांग्रेस की नीति दोरंगी रही है।
राज्य में संगठन एवं सरकार में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व कांग्रेस पार्टी नहीं दे रही है। सूबे में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में कांग्रेस एवं राजद की गठबंधन सरकार चल रही है। राज्य में कांग्रेस के 17 विधायक हैं, जिनमें चार महिलाएं हैं। यानी कांग्रेस के कुल विधायकों में से 25 फीसदी से कुछ कम महिला विधायक हैं। लेकिन विडंबना यह है कि राज्य मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटा से एक भी महिला विधायक मंत्री नहीं बन सकीं हैं।
न बोर्ड या निगम में कांग्रेस के महिला विधायकों या महिला नेत्रियों को स्थान दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी एक तरह से नगण्य है। जाहिर है, महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के सवाल पर कांग्रेस की कथनी एवं करनी के बीच भयंकर खाई दृष्टिगोचर हो रही है।
क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस महिला प्रत्याशियों को उचित प्रतिनिधित्व देगी? यह मुद्दा सवालों के घेरे में है। हजारीबाग एवं गोड्डा लोकसभा सीट से कांग्रेस की दो महिला विधायक क्रमशः अंबा प्रसाद एवं दीपिका पांडेय सिंह टिकट की दावेदार रही हैं। लेकिन हजारीबाग से अंबा प्रसाद की दावेदारी को नकारते हुए कांग्रेस ने भाजपा से हालिया शामिल हुए विधायक जयप्रकाश पटेल को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। अब बारी गोड्डा सीट की है।
अल्पसंख्यक उम्मीदवार के नाम पर महिला प्रत्याशी की दी जा सकती है बलि
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अल्पसंख्यक उम्मीदवार के नाम पर गोड्डा सीट पर भी महिला दावेदार की अपेक्षा की जा सकती है। जबकि राजनीति के जानकारों का कहना है कि गोड्डा लोकसभा सीट पर यदि कांग्रेस फिर से अल्पसंख्यक प्रत्याशी को मैदान में उतारती है, तो इसका सीधा अर्थ यह होगा कि कांग्रेस गोड्डा सीट पर भाजपा को वाक ओवर देने का काम करेगी।
मालूम हो कि सन् 1980 के चुनाव से लगातार इस सीट पर कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदाय के नेता को प्रत्याशी बनाती रही है। लगातार नौ लोकसभा चुनाव से कांग्रेस इस सीट पर अल्पसंख्यक को उम्मीदवार बनाती रही है। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है।
भाजपा क्षेत्र के मतदाताओं के दिलो दिमाग में यह बात बैठने में सफल रही है कि कांग्रेस गोड्डा सीट को अघोषित रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित कर चुकी है। यह वक्त ही बताएगा कि 18 वीं लोकसभा चुनाव में झारखंड से किसी महिला को कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार बनाती है या नहीं।