कविता
लोखक: तंजीला नाज़
बदल गए सब हालात
वो दिन नहीं रहे अब
किसी के बारे में सोचे ,
किसी से कुछ गफ्तागु करें
जिंदगी जैसी थी अब वैसी
भी नहीं रही, जो चल रहा है
सब वैसे ही चले, मानती हूं मैं
की कोई है जिसे शिद्दत से
मै भी चाहती हूं सोचती हूं
लेकिन जरूरी नहीं की
हर बात जाहिर करूं
कल मै कुछ और थी
अब हालात ही कुछ और है
क्यूंकि सब बदल गए
हां एक सच है अभी भी
मुझमें, मै खुद को नहीं बदल सकी
लाख कोशिशों के बावजूद
भी ये न हो सका
मगर क्या करें एक कोशिश
अब भी जारी है।।