विशेष
कहा जाता है बीमारी के इलाज से बेहतर होता है सही समय पर उसका बचाव करना।
यह भावना डायबिटीज़ या मधुमेह जैसे रोग के लिए काफी सटीक बैठती है। 27 जून वो तारिख है जब 1991 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार ये तय किया था कि विश्व में तेजी से फैलती इस जीवनशैली संबंधित इस बीमारी की जागरुकता के लिए कोई विशेष दिन रखना चाहिए। हालांकि विश्व डायबिटीज़ दिवस को बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 नवंबर के रुप में तय किया लेकिन 27 जून को मधुमेह जागृति दिवस के रुप में मनाया जाता है।
कई बार बीमारी की सही जानकारी और जागरुकता नहीं होने की वजह से भी ये बीमारी चुपचाप शरीर में प्रवेश कर जाती है। ऐसे में रोग से संबंधित जागरूकता को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। खासतौर पर टाइप-2 डायबिटीज़ के संबंध में ये माना जाता है कि अनियंत्रित जीवनशैली से जुड़े इस रोग में अगर सही समय पर लोगों को चेता दिया जाए तो इस बीमारी को आसानी से टाला जा सकता है।
इस बीमारी के जानकार बताते हैं कि उचित शारीरिक कसरत और व्यायाम, मधुमेह की बीमारी के खतरे को दूर रख सकता है। साथ ही उचित आहार की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये बीमारी अत्याधिक तनाव की वजह से भी पनप सकती है। इसी वजह से लोगों की जीवनशैली में व्यायाम के अलावा योग और ध्यान को भी शामिल करने की सलाह दी जाती है।
जिससे लोग मन को एक निश्चित समय के लिए फोकस कर सकें और अपने नियंत्रण से परे बातों को ना सोचें। पेशेवर या गैरपेशेवर शख्स अपने कार्यों से संबंधित तनाव ना लें, इस बात का सुझाव भी दिया जाता है। साथ ही ध्यान या मेडिटेशन से अधिक तनाव से पनपने वाले इस संभावित खतरे को भी दूर रखा जा सकता है।
कुल मिलाकर किसी भी शख्स को सही समय पर इस बीमारी के लिए जागरूक कर दिया जाए तो उचित कदम उठाए जा सकते हैं। सही मायनों में कदम उठाना यानी 30 मिनट तक जॉगिंग या तेज गति तक पैदल चलना इस बीमारी में काफी कारगर साबित होता है। साथ ही भोजन में अधिक फाइबर, सब्जियां और फलों के सेवन से भी फायदा होता है।
वहीं अधिक वसा, शक्कर और मैदा युक्त भोजन से परहेज करने की भी सलाह दी जाती है। कई बार शारीरिक व्यायाम और भोजन पर नियंत्रण से ही बीमारी को रोकने में कामयाबी मिल जाती है। अन्यथा दवाई लेने पर ही इलाज हो पाता है। इसलिए माना जाता है कि प्री डायबिटीज़ स्तर पर ही नियंत्रण बेहतर होता है बशर्ते मरीज को मालूम पड़ जाए कि डायबिटीज़ रोग ज्यादा दूर नहीं है।
पारंपरिक इलाज में जामुन, मैथीदाना और करेले जैसे खाद्य पदार्थ भी इस बीमारी के लिए उपयोगी माने गए हैं। योग के विभिन्न आसनों द्वारा भी इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है। योग के कई आसनों में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है जो इस बीमारी के लिए काफी आवश्यक है।
डॉ प्रभाकर कुमार की कलम से …