संगीत की स्वर लहिरी जब कानों में पड़ती है तो मन भी गुनगुनाने लगता है।
संगीत का जादू ऐसा होता है कि ये किसी देश या भूभाग की सीमा नहीं देखता, इसे जोड़ने के लिए सिर्फ ध्वनि और सुर का आनंद लेना आना चाहिए। प्रकृति ने अपने आप में भी संगीत की कई ध्वनियां समेट कर रखी हैं, जैसे चिड़िया के चहचहाने में भी संगीत होता है तो झरने के गिरने में भी सुमधुर ध्वनि आती है, समंदर की लहरों भी एक निश्चित वेग से संगीत की लय के साथ तालमेल बैठाती है तो चलती हुई हवा की सांय-सांय भी एक आनंददायक ध्वनि को जन्म है।
दुनिया भर में संगीत की भाषा एक ही है और इसे समझने वाले कहीं भी हों, समझ ही जाते हैं इसीलिए संगीत की ख्यात शख्सियतों का क्रिएशन दुनिया भर में सुना जाता है।
चाहे वो शास्त्रीय संगीत हो या पाश्चात्य संगीत, चाहे गायन हो या वादन, सुर सिर्फ सात ही हैं और उन्हीं से मिलकर तमाम राग-रागिनियों का निर्माण हुआ है। वैसे ही वादन में भी वाद्य कैसा भी हो जब संगीत की ध्वनि उससे निकलती है तो संगीत के जानकार को सुर पकड़ने में ज्यादा समय नहीं लगता। कहते हैं संगीत के वाद्य भी बात करते हैं अपनी प्रशसंको से।
इसी संगीत की मूल भावना को दुनिया भर से जोड़ने के लिए हर वर्ष 21 जून को विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है। इस दिन संगीत के साधक दुनिया में कहीं भी हों, अपने रियाज और कन्सर्ट से सभी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। कई जगहों पर इस दिन को मनाने के लिए 24 घंटे तक गायन और वादन की प्रस्तुति दी जाती है।
हालांकि इसकी शुरुआत फ्रांस की राजधानी पेरिस से वर्ष 1982 से हुई थी लेकिन धीरे-धीरे संगीत दिवस का जश्न पूरी दुनिया में फैलता चला गया। कई शोधों ने इस बात की ओर इशारा किया है कि संगीत कुछ बीमारियों से मुक्ति दिलाने में भी सहयोग करता है। कुछ विशेष तरह के स्वर और संगीत से तनाव और डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को राहत मिलती है।
प्राचीन काल से लेकर आज के दौर तक संगीत की दुनिया ने एक बड़ा सफर तय किया है। तकनीकी रुप से अब संगीत सभी की पहुंच में आ चुका है। पहले के जमाने में ग्रामोफोन, टेप रिकॉर्डर और कैसेट की दुनिया से शुरू हुआ संगीत अब मोबाईल फोन के एप्प के रुप में हर फोन में समा चुका है।
इतना ही नहीं हर भाषा और हर भू-भाग का संगीत कई तरह के मोबाईल एप्प के जरिए उपलब्ध हो जाता है। चाहे मशहूर गीत हो या वादन का स्वरुप हर चीज़ डिजिटल रुप में आसानी से उपलब्ध है।
संगीत का प्रेम पूरे विश्व को एक सूत्र में बांधता है इसकी मिसाल तब देखने को मिलती है जब दुनिया के मशहूर गायक और वादक विश्व की हरेक जगह पर जाकर अपनी प्रस्तुति देते हैं। चाहे उनकी भाषा और देश कुछ भी हो लेकिन संगीतप्रेमी संगीत की भाषा को ना केवल समझते हैं बल्कि उनके संगीत का लुत्फ भी उठाते हैं।
जितना योग जरुरी, उतना ही यह भी
संगीत, ध्वनि का ऐसा लयबद्ध व्यवहार है जो हमें अपने आपसे जोड़ने में सहायक सिद्ध होता है. भारतीय संस्कृति में भी विभिन्न वाद्य-यंत्रों एवं उनसे उत्पन्न ध्वनि, राग-रागिनियों का विशिष्ट महत्त्व है. यूँ तो सृष्टि के कण-कण में संगीत है फिर चाहे यह बहती हुई नदिया की धारा हो या किनारे से टकराकर लौटती समंदर की प्रचंड लहरें.
बहती हुई हवा और उस पर झूमते-लहराते पत्ते भी ह्रदय के इसी तरंगित साज को अभिव्यक्ति देते प्रतीत होते हैं. कुल मिलाकर संगीत हमारी आत्मा में इस तरह रच-बस चुका है कि इसके बिना जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है.
विद्या की देवी मां सरस्वती के कर-कमलों में वीणा की उपस्थिति संगीत की महानता की कहानी स्वयं ही कह जाती है. संगीत, दिलों को जोड़ता है तो अवसाद के भारी पलों में एक कुशल चिकित्सक की तरह उचित मरहम भी लगाता है.
दोस्तों के साथ शोर-शराबे वाले संगीत के साथ मस्ती का मज़ा कुछ और ही है तथा अकेलेपन में धीमे-धीमे बजते संगीत की स्वर लहरियां भी उतनी ही सुमधुर, कर्णप्रिय लगती हैं. हमारे सुख-दुःख का साथी है संगीत, जो स्नेहसिक्त क्षणों में हमें अपनी बाहों में भर लेता है और पीड़ा के समय किसी अच्छे-सच्चे मित्र की तरह हाथ थामे साथ चलता है.
ये संगीत का जादुई प्रभाव ही है कि नवजात शिशु भी झुनझुने की आवाज़ सुन किलकारी भरने लगता है. कृष्ण की बांसुरी की मीठी ध्वनि और गोपियों का आकर्षित हो खिंचे चले आना; ये सारे किस्से संगीत की ही महिमा का बखान करते हैं. शादी में ढोलक-शहनाई, भजन-मंडली में ढोल-मंजीरा, शास्त्रीय संगीत में तानपूरा, तबला, सरोद, सारंगी का हम सब भरपूर आनंद उठाते हैं. बचपन में संपेरों द्वारा बीन बजाते ही लहराते हुए सांप का खेल भी हमने खूब देखा है.
अपरिचित इंसानों से भरे कमरे में यदि संगीत की धुन छेड़ दी जाए तो सबके पैर स्वयं ही थिरकने पर विवश हो जाते हैं क्योंकि संगीत की भी अपनी अनूठी भाषा, अभिव्यक्ति है जो बिना शब्दों के भी दूसरे के मन तक आसानी से पहुंच जाती है.
आपका सबसे प्रिय गीत आपके एक खराब दिन और मूड को सामान्य कर देने की क्षमता रखता है और आपको विश्वास होने लगता है कि दुनिया उतनी भी बुरी नहीं जितना कि कुछ पल पहले आप महसूस कर रहे थे. स्मृतियों के सुनहरे पृष्ठ भी संगीत की धुन पर अपनी थाप देने लगते हैं. आपकी कोमल भावनाओं की सहज, सुन्दर अभिव्यक्ति है, संगीत.
इन्हीं पलों को उल्लास के साथ जीने के लिए विश्व-भर के संगीत प्रेमियों ने 21 जून को ‘विश्व संगीत दिवस’ मनाने का निर्णय लिया था. कहते हैं 1982 में इसी दिन फ़्रांस के एक संगीत-उत्सव के दौरान यह तय किया गया था. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह आईडिया एक अमेरिकन संगीतकार ने 1976 में दिया था. बहरहाल श्रेय कोई भी ले, हम और आप तो इस संगीत का भरपूर मज़ा लें और जीवन की दुरूहता को मुस्कान के साथ स्वीकारें.
आज ‘विश्व योग दिवस’ है और सबसे बड़ा दिन भी! उस पर संगीत का साथ! तो स्वस्थ रहें, सूफ़ी सुनें, शास्त्रीय संगीत का आनंद उठाएं, अपना मनपसंद वाद्य-यंत्र बजाएं या फिर फिल्मी गीतों में खो जाएं….अजी, आपका दिन है भई, अपने हिसाब से आनंद उठायें.
जितना योग करना आवश्यक है, संगीत का साथ भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि योग शरीर को स्वस्थ रखता है तो संगीत ह्रदय और आत्मा को संतृप्त करता है।
डॉ प्रभाकर कुमार की कलम से