रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर : झारखंड सरकार के केबिनेट मंत्री आलमगीर आलम के नेतृत्व में झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ का एक शिष्ट मंडल बुधवार की शाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला. मुलाकात के दौरान उर्दू स्कूलों एवं शिक्षकों से संबंधित समस्याओं से सीएम को अवगत कराया गया. सभी समस्याओं को ध्यानपुर्वक सुनने के बाद सीएम ने कहा कि उर्दू स्कूलों में उर्दू माध्यम के शिक्षक ही पदस्थापित होंगे. मातृभाषा में शिक्षा हासिल करने का अधिकार हर विद्यार्थी का है. शुक्रवार को जुमा नमाज पढ़ने के लिए पूर्व की भांति मुस्लिम शिक्षकों को दो घंटे की छूट मिलती रहेगी. संघ की ओर से जिन समस्याओं से अवगत कराया गया है, उसका समाधान किया जायेगा.
मुख्यमंत्री से मिलने गये संघ के केंद्रीय अध्यक्ष हाजी शरीफ अहसन मजहरी, केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद व रांची जिला सचिव रेहान अखतर ने सीएम श्री को बताया कि पिछली सरकार के कार्यकाल में उर्दू विद्यालयों में उर्दू नहीं जानने वाले गैर उर्दू भाषी शिक्षकों को पदस्थापित कर दिया गया है. उर्दू में बहाल शिक्षक तथा उर्दू भाषा के जानकार शिक्षक सामान्य विद्यालयों में पदस्थापित हैं. इसे सुधार करते हुए उर्दू विद्यालयों में उर्दू में नियुक्त होने वाले और उर्दू भाषा के जानकार शिक्षकों को ही पदस्थापित किया जाना जरूरी है. उर्दू लिपि में केवल मातृभाषा की पुस्तकें मिल रही हैं, पूर्व की भांति सभी विषयों की पुस्तकें उर्दू लिपि में उपलब्ध कराई जानी चाहिए. बड़ी संख्या में राज्य में उर्दू विद्यालयों को मर्ज कर दिया गया है, जिसे पुनः खोलने की जरूरत है. 2006-07 से राज्य में उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है, इसलिए झारखंड विधान सभा से लेकर पंचायत स्तर तक सभी सरकारी कार्यालयों में नेम प्लेट पर उर्दू भाषा में भी सूचनाएं लिखे जाने का आदेश निर्गत किया जाए. भारत के अन्य राज्यों की तरह झारखण्ड में भी उर्दू अकादमी की स्थापना कर कार्यालय खोला जाए. राज्य के +2 उच्च विद्यालयों में अब तक उर्दू शिक्षकों के पद सृजित नहीं किये गये हैं. पद का सृजन कर शिक्षकों की नियुक्ति की जाए. झारखंड में 1401 उर्दू शिक्षकों का पद प्रारंभिक विद्यालयों में स्वीकृत है. लेकिन नियुक्ति नहीं होने से हजारों पद रिक्त पड़े हुए हैं, जिस पर नियुक्ति की जाए. उर्दू टंकक, उर्दू अनुवादक, उर्दू दारोगा समेत सचिवालय एवं सरकारी कार्यालयों में उर्दू भाषी लिपिकों की नियुक्ति की जाए. 2014-2015 में नियुक्त होने वाले उर्दू शिक्षकों को योजना मद में शामिल कर दिया गया है, जबकि 1994 समेत अन्य सभी वर्षों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति गैर योजना मद में की गई है. इसलिए 2014-15 के उर्दू शिक्षकों को भी गैर योजना मद में शामिल किया जाए. अल्पसंख्यक विद्यालय में नियुक्ति पर पिछली सरकार ने रोक लगा दी है. शिक्षकों के सेवानिवृति और नई बहाली नहीं होने के कारण अल्पसंख्यक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी होती जा रही है. भविष्य में शिक्षक बहाल नहीं हुए तो विद्यालय बंद हो जाएंगे, इसलिए नियुक्ति पर से रोक हटाई जानी चाहिए. मदरसा व संस्कृत शिक्षकों को अल्पसंख्यक विद्यालय के शिक्षकों के तर्ज पर पेंशन सहित अन्य सुविधायें पुनः बहाल करने की आवश्यकता है. राज्य के मुस्लिम कर्मियों, शिक्षकों तथा अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए जुमा की नमाज अदा करने के लिए 2 घंटे का समय 12 से 2 बजे तक की छूट दी जाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बिहार सरकार में पूर्व से यह सुविधा बहाल थी. इसका आदेश पत्र झारखण्ड सरकार द्वारा भी जारी किए जाने की आवश्यकता है.