हमारी भी सुनो हेमंत सरकार , निजी स्कूल दे रहे हैं दुख अपार
रांची: झारखंड अभिभावक संघ ने अपने आंदोलन के तीसरे चरण में प्राइवेट स्कूलों की हर तरह की फीस वसूली के खिलाफ # हमारी भी सुनो हेमंत सरकार, निजी स्कूल दे रहे हैं दुख अपार# कार्यक्रम के तहत आंदोलन की घोषणा की है ।
इस अवसर पर आज संघ की जूम एप के माध्यम से हुई बैठक होने के उपरान्त झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा कि क्या इस राज्य में कोई जिम्मेदार नीतिनिर्धारक , शिक्षाधिकारी , शासन , प्रशासन स्पष्ट कर सकता है कि पिछले 16 महीने से स्कूल बंद है तो फिर किस आधार पर अभिभावक स्कूलो की फीस दे ? क्या अभिभावको ने सरकार अथवा निजी स्कूलों से कोई कर्जा अथवा लोन लिया है जिसकी बिना सर्विस लिये क़िस्त देनी ही होगी । बावजूद अभिभावक ट्यूशन फीस देने के लिए तैयार हैश्री राय ने कहा कि जिस राज्य मे 77 ℅ बच्चों के पास ऑन लाइन क्लास लेने के लिए संसाधन मौजूद नही है जो सरकार और निजी स्कूल बच्चों को मोबाइल / लेपटॉप और टीवी स्क्रीन से दूर रहने के लिए संदेश देते थे आज उन्ही ने हमारे बच्चों के स्वास्थ्य को ताक पर रखकर ऑन लाइन क्लास से पढ़ाई करने के लिए मजबूर कर दिया है वो भी अभिभावको की बिना अनुमति के क्या वाकई इनका उद्देश्य समान शिक्षा के अधिकार का पालन करते हुये प्रत्येक बच्चे को इस महामारी में शिक्षा देने का था या सिर्फ फीस इकट्ठा करने का ??
अजय राय ने कहा कि क्या हमारी ऑन लाइन क्लास के अनुसार फीस निर्धारण की मांग गलत है क्या सरकार को समझ नही आता कि जितनी सर्विस ली जाती है उतने ही पैसे दिए जाते है ! सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों को मालूम है बावजूद सब चुप्पी साधे बैठे है क्या यह उनकी जिम्मेवारी नहीं, क्या वह उनके वोट से जीत कर नहीं आते! श्री राय ने कहा कि क्या सरकार को पता नही की निजी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी एक्ट के तहत होता है जिसके माध्य्म से शिक्षा देने को समाज सेवा बताया गया है #नो प्रॉफिट नो लॉस# के फार्मूले पर संबद्धता ली जाती है जबकि सरकार की आंखों के सामने ही निजी स्कूलों ने शिक्षा देने के कार्य को व्यवसाय बना दिया और एक स्कूल से अनेको स्कूल खोलकर करोडो की संपति इकट्ठा कर ली सरकार में बैठे लोगों को सब कुछ पता है पर वो बोलते नही क्योकि अधिकतर निजी स्कूल इन्ही लोगों के है या सरक्षण प्राप्त है जिसका प्रमाण हमने देखा जब सूबे के कांग्रेस के मंत्री ने बयान दिया कि हम निजी स्कूलों का अहित नही होने देंगे और कहा कि सक्षम अभिभावक फीस जमा करे ! प्रदेश के मंत्री जी को अभिभावक फीस जमा करने के लिए सक्षम दिखाई देते है लेकिन प्रदेश के निजी स्कूल फीस माफ करने के लिए सक्षम दिखाई नही देते और इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है ।उन्होंने कहा कि स्कूल कहती है कि स्कूलों को टीचर्स की सैलरी देनी है इसलिये अभिभावको को पूरी फीस देनी होगी । सरकार की ओर से कभी समीक्षा की गई की इस कोविड महामारी में 90 ℅ स्कूलो ने 50% टीचर्स को निकाल दिया है और जो है उनको आधे से भी कम सैलरी दी जा रही है आखिर क्यों सरकार हिम्मत नही दिखाती है कि निजी स्कूलों की पिछले 5 साल की बैलेंस शीट जांच करे और उसके आधार पर फीस माफी का निर्णय करे और फिर भी अगर सरकार को निजी स्कूलों की इतनी ही चिंता है तो फिर क्यो नही सरकार आपदा राहत कोष से स्कूलो को फण्ड अलॉट करती है फिर क्यो अपनी नैतिक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुये अभिभावको पर फीस जमा करने का दबाब बनाया जा रहा है क्या सरकार में बैठे नीति निर्धारक बता पाएंगे कि आखिर वो कौन सा फार्मूला है जिसके आधार पर अभिभावक पिछले 16 महीने से बंद निजी स्कूलों की फीस दे।अजय राय ने कल से सुरु हो रहे आंदोलन के सम्बन्ध में बताया कि 26 मई से 30 मई तक हम लोग ने आंदोलन के पहले चरण में सोशल मीडिया के माध्यम राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने का प्रयास किया वही आंदोलन के दूसरे चरण में # सात वार सात गुहार# कार्यक्रम के तहत लगातार 7 दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से राज्य सरकार से गुहार लगाई है मगर सरकार की ओर से हमारी मांगों के ऊपर कहीं कोई कार्रवाई नहीं हो पाया जिसको देखते हुए हम लोगों ने तीसरे चरण में यह आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं जिसके तहत # हमारी भी सुनो हेमंत सरकार निजी स्कूल दे रहे हैं दुख अपार# कार्यक्रम के तहत 26 जुलाई को हस्ताक्षर अभियान 27 जुलाई को मौन धरना 28 जुलाई को उपवास 29 जुलाई को हेमंत सरकार को सद्बुद्धि दे भगवान कार्यक्रम के तहत हवन का कार्यक्रम किया जाएगा।
अभिभावक संघ की मांग इस प्रकार हैः-
(1) पिछले साल निकाले गए विभागीय पत्रांक 1006 दिनांक 25/06/2020 का शत-प्रतिशत अनुपालन सत्र 2021-22 में भी सुनिश्चित हो ।
(2) शुल्क के अभाव में छात्रों को ऑनलाइन क्लास से वंचित ना करे ।
(3) सम्बद्धता प्राप्त निजी विद्यालयों की मनमर्जी पर नकेल कसे, विद्यालय स्तरीय पारदर्शी शिक्षण शुल्क समिति का गठन सुनिश्चित हो।
(4) झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को राज्य के सभी जिले में पूर्णतया पारदर्शी तरीके से लागू किया जाय । साथ ही शिक्षण के अनुपात में ही शिक्षण शुल्क का निर्धारण करने, एक्ट के तहत पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन का गठन हर स्कूल में हो ।
(5) निजी विद्यालयों की पिछले 5 साल का ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा राज्य सरकार करें ताकि जिस स्कूल के आर्थिक स्थिति सही है वहां विभिन्न मदों में लिए जाने वाले शुल्क पर रोक लगे और जिन स्कूलों के आर्थिक हालात खराब है उन्हें आपदा राहत कोश से आर्थिक पैकेज दे सरकार ।
(6) स्कूलों में चलने वाली बसों के टैक्स ,इंश्योरेंस माफ करने को लेकर कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित करे राज्य सरकार।
(7) स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक , शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतन पूर्व की तरह सुनिश्चित हो।
आज की बैठक में कैप्टन प्रदीप मोहन सहाय महेंद्र राय दीपक शर्मा,संजय सर्राफ, लाल ओंकार नाथ शाहदेव, रामदीन कुमार देव आनंद राय मनोज कुमार आकाश राज प्रियरंजन अनिकेत प्रसाद अंश तिवारी आशा सिंह दिव्या सिंह गौरव कुमार विकास सिन्हा जिनोफर अख्तर, महावीर सिंह मनीष कुमार, राजू सोनी राकेश कुमार रानी राय रीतलाल वर्मा संजय घट राज सरिता कुमारी प्रमोद रंजन रितिका मुंडा सहित सैकड़ों अभिभावक शामिल हुए।