परिवार मूल्यों ( Values ) के निर्माण की पहली पाठशाला जहाँ मनुष्य मूल्यों से परिचित होता है । बाल मन को नैतिक व अनैतिक का ज्ञान नहीं होता । बच्चे का नैतिक व अनैतिक के प्रति जागरूक होना मुख्य रूप से परवरिश एवं पारिवारिक परिवेश पर निर्भर करता है । समाजीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका माता पिता अभिभावक परिवार की होती है । अनुकरणीय व समग्र व्यक्तित्व निर्माण में परिवार के संस्कार मानक स्वरूप । जिन सद्व्यवहार , शिष्ट आचरण व घर के प्रतिमानों को बच्चे देखते हैं वैसा उनका आचरण समाज के सामने दिखता है ।
मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड ने बच्चे के समग्र व्यक्तित्व निर्माण में पांच से छह वर्ष को मुख्य माना । मनोवैज्ञानिक J B वाटसन ने वातावरण व परिवेश , संगति अनुसार व्यक्तित्व निर्माण की बात रखी । मनोवैज्ञानिक अर्थर जेनसन ने आनुवंशिक प्रतिमानों के आधार पर व्यक्तित्व निर्माण की बात रखी । समाजीकरण के मानकों के अंतर्गत मनोवैज्ञानिकों की अलग अलग धारणाएं हैं ।
घर परिवार के बाद समाजीकरण व मूल्य निर्माण की प्रक्रिया में समाज , शिक्षा , शिक्षक व अन्य सामाजिक आर्थिक परिवेश की भूमिका होती है जहाँ व्यक्तित्व निर्माण , व्यक्ति के भीतर व्यक्तित्व परिवर्तन , चारित्रिक परिवर्तन , परिपक्वता , व्यवहारिक समझ आदि मूल्यों का निर्माण होता है । किसी भी राष्ट्र , समाज और परिवार व्यक्ति की पहचान उसके मूल्यों , पारिवारिक संस्कार व संस्कृति पर निर्भर करती है । मूल्यों , संस्कारो व संस्कृतयों से निर्मित व्यक्तित्व समृद्ध परंपरा से ओत प्रोत मानी जाती है । भारतीय संस्कृति मुख्य रूप से शुद्ध समाजीकरण की प्रक्रिया पर निर्भर करती है ।
मूल्य परक शिक्षा परिष्कृत व्यक्तित्व निर्माण में सहायक हैं । मूल्यों के बिना व्यक्ति निंदनीय है । आचरण व चरित्र निर्धारण में मूल्य सर्वांगीण विकास में सहायक । मूल्य परक शिक्षा व्यक्ति को पथभ्रष्ट व पथ विमुख होने से बचाये रहते हैं एवं एक आदर्श व्यक्तित्व निर्धारण में अहम भूमिका निभाते हैं । मूल्य मानव जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाते हैं जिससे अंतःकरण की शुद्धता बनी रहती है , मनुष्य के भीतर सदाचार व उन्नत चरित्र निर्माण करते हैं । मूल्य परक शिक्षा समग्र व चतुर्दिक व्यक्तित्व निर्माण के साथ साथ , आदर्श चारित्रिक उत्थान व स्वस्थ संतुलित समाज , साथ ही राष्ट्र के विकास में अद्वितीय स्थिति के लिए जवाबदेह होती है । मूल्य निर्मित व्यक्तित्व निर्माण में परिवार प्रथम पाठशाला है । संस्कारो व मूल्यों का उदय घर के वातावरण , माता पिता के आचरण , प्रतिमानों , आदर्शों पर निर्भर करती है । शिष्ट व्यक्ति के आचरण उनके घर परिवार से मिले प्रतिमान हैं ।
डॉ प्रभाकर कुमार
मनोवैज्ञानिक सह बाल अधिकार कार्यकर्ता
जिला – बोकारो ( झारखंड )