नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश भले ही शौचालय बनाने के दावे को लेकर गुजरात समेत भाजपा शासित राज्यों पर झूठा व गलत होने का आरोप लगा रहे हों, लेकिन कांग्रेस शासित समेत दूसरे राज्यों की हालत भी बेहतर नहीं है। इनमें भी सबसे बदतर प्रदर्शन उत्तर प्रदेश और बिहार का रहा। जनगणना के ताजा आंकड़ों ने उनके दावों की पोल खोल दी है।
पढ़ें: मेरे लिए पहले शौचालय फिर देवालय: नरेंद्र मोदी
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2011-12 के दौरान ही यह दावा किया था कि उसके ग्रामीण क्षेत्रों के 82 फीसद परिवारों में शौचालय हैं। लोग खुले में शौच नहीं करते हैं। लेकिन जनगणना के आंकड़ों ने इस दावे की हवा निकाल दी है। इसके मुताबिक राज्य में केवल 22.9 फीसद परिवारों के पास ही शौचालय हैं। बिहार के सिर्फ 14 फीसद ग्रामीण परिवारों में ही शौचालय है। इन राज्यों की बड़ी आबादी आज भी खुले में शौचालय के लिए जाती है।
कांग्रेस शासित राज्य आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा, जो खुद को विकसित राज्य बताने में गर्व महसूस करते हैं, उनके यहां भी स्वच्छता अभियान का वास्तविक प्रदर्शन दयनीय है। हरियाणा का दावा जहां 96 फीसद ग्रामीण परिवारों में शौचालय बनाने का था, जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक यहां केवल 57 फीसद परिवारों में ही यह सुविधा पहुंच सकी है। कमोबेश यही हाल आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के भी हैं। पूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत ग्रामीण परिवारों में शौचालयों की कवरेज के मामले में पूर्वोत्तर के राज्य सबसे आगे हैं। दक्षिणी क्षेत्र के राज्य तमिलनाडु का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश जैसे ही हैं। केरल के 95 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनाए जा चुके हैं। इसके मुकाबले भाजपा शासित गोवा के 76 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान सफल है। लेकिन राज्य की एक चौथाई आबादी को खुले में शौच के लिए बाध्य है।
चुनिंदा राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण के दावे और वास्तविक स्थिति
राज्य-राज्यों के दावे–2011 की जनगणना
आंध्र प्रदेश (कांग्रेस) 77.07 34.90
बिहार (जदयू) 32.86 18.60
छत्तीसगढ़ (भाजपा)55.80 14.80
गुजरात (भाजपा) 81.59 34.20
हरियाणा (कांग्रेस) 96.04 57.70
मध्य प्रदेश (भाजपा)76.37 13.60
महाराष्ट्र (कांग्रेस) 71.31 44.20
उत्तर प्रदेश (सपा) 81.76 22.90