बोकारो से जय सिन्हा
बोकारो: कसमार प्रखंड के मंजूरा गांव स्थित नाइया जेहराथान में मंगलवार को मंजूरा पंचायत के आदिवासी कुड़मि समाज ने सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया।
गांव के नाइया जानकी महतो गुलिआर ने खीर का भोग चढ़ाकर सरना स्थल नाइया जेहराथान में पूजा की। तत्पश्चात नाइया जेहराथान से ही ग्रामीणों ने नाया को झागड़ हाड़ी से सर पर पानी डालते हुए घर तक लाए। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। तत्पश्चात अपने पुरखों के वास स्थल भुतपिढ़ा के समक्ष नाया को बैठाकर गांव की महिलाओं एवं बच्चियों ने नाया को तेल हल्दी लगाकर उनके सिर पर पानी डाल आशीर्वाद लिया।
इस दौरान नाया ने ग्रामीणों के बीच सारइ (सखुआ) का फूल बांटा। ग्रामीणों ने बताया कि मंजूरा गांव में चड़क पूजा के उपरांत सरहुल परब मनाने की परंपरा गांव बसने के दौरान से ही पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से चली आ रही है। नाइया जेहराथान कुड़मि समेत आदिवासियों की गहरी आस्था का केंद्र है। इस परब के माध्यम से भूमिगत जल स्तर का अनुमान एवं भविष्य में होने वाली वर्षा की संभावना का पूर्वानुमान लगाते हैं।
जो कि आगामी धान के फसल में काफ़ी लाभदायक होता है। इसके लिए नाइया जेहराथान में सरहुल पूजा के दौरान कांसा के लोटा में पानी भरकर उसे अगले 5 दिनों तक घर में रखा जाता है। 5 दिन के उपरांत लोटा में विद्यमान जल का स्तर से अनुमान लगाया जाता है कि इस वर्ष के मौसम में वर्षा का क्या स्तर रहेगा।
सरहुल परब प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण को दर्शाने वाला पर्व है जिसमें पूरे उल्लास के साथ प्रकृति के संरक्षण के साथ-साथ आदिकाल से चली आ रही आदिवासियों की बेमिसाल परंपरा के निर्वहन और उसके मूल रूप में सहेजे जाने का भी संदेश प्रसारित करता है।मौके पर भागीरथ बंसरिआर, सदानंद गुलिआर,मिथिलेश महतो केटिआर, प्रवीण केसरिआर, ज्ञानी समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।