वैसे तो राष्ट्र के उत्थान के लिए सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक कई प्रमुख आयाम हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण वह उचित आयाम शिक्षा ही है।
जब तक शिक्षा व्यवस्था प्रभावशाली एवं गुणात्मक नहीं होगा तब तक विकास के नाम पर केवल दिखावा ही होता रहेगा। वर्तमान समय की रूढ़िवादी एवं परंपरागत शिक्षा एवं शिक्षण पद्धति में काफी कुछ बदलाव की आवश्यकता महसूस की गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा व्यापक बदलाव दिखाई दे रही है,अब इसके पूर्णरूपेण क्रियान्वयन बल दिया जाना आवश्यक हो गया है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तीन साल पूरे हो गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के व्यापक कड़ी में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्कूली शिक्षा के लिए “पीएम श्री स्कूल” की प्रकल्पना इसके क्रियान्वयन की पहली कदम के रूप में दिखाई दे रही है। देश के भविष्य नौनिहाल बच्चों की बुनियाद को और मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पीएम श्री’ यानि प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया जो कि केंद्र सरकार की पहल पर एक योजना बनाई गई है।
इस पहल का उद्देश्य केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय संगठन सहित केंद्र सरकार/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित 14500 से अधिक पीएम – श्री स्कूलों को विकसित करना है, जिसमें हर छात्र का स्वागत और देखभाल की जाती है, जहां एक सुरक्षित और प्रेरक सीखने का माहौल मौजूद है, जहां सीखने के अनुभवों की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश की जाती है, और जहां सभी छात्रों के लिए सीखने के लिए अनुकूल भौतिक बुनियादी ढांचे और उपयुक्त संसाधन उपलब्ध हैं।
यह पहल छात्रों को इस तरह से पोषित करेगा कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की परिकल्पना के अनुसार एक समतापूर्ण, समावेशी और बहुलवादी समाज के निर्माण में संलग्न, उत्पादक और देश के विकास में योगदान देने वाले योग्य नागरिक बन सकें।
20 लाख से अधिक छात्रों के इस योजना के प्रत्यक्ष लाभार्थी होने की उम्मीद की गई है। इस योजना से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता के विभिन्न आयामों की समझ को भी बढ़ावा मिलेगी और नीति, अभ्यास और कार्यान्वयन की जानकारी भी। इन स्कूलों की शिक्षा को देश के अन्य स्कूलों तक बढ़ाए जाने का लक्ष्य है।
इस योजना को 2022-23 से 2026-27 तक 5 वर्षों की अवधि में लागू करने का प्रस्ताव है। पीएम- श्री स्कूल 2022 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करने में मदद करेंगे और समय के साथ अनुकरणीय स्कूलों के रूप में उभरेंगे।
पीएम श्री योजना की मदद से तैयार होने वाले ‘पीएम श्री स्कूल’ आगे चलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के सभी घटकों का प्रदर्शन करेंगे, अनुकरणीय स्कूलों के रूप में कार्य करेंगे और अपने आसपास के अन्य स्कूलों को सहायता व मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे। ऐसे में पीएम श्री स्कूल छात्रों के संज्ञानात्मक विकास व गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए बेहद अहम साबित होने वाले हैं। ‘पीएम श्री स्कूल’ 21वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल से युक्त समग्र और पूर्ण-विकसित व्यक्तियों का निर्माण और उनका पोषण करने का एक अवसर के साथ स्कूली शिक्षा का मॉडल यानी मार्गदर्शक की भूमिका में नजर आएंगे।
पीएम श्री स्कूलों की योजना (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया–उभरते भारत के लिए पीएम स्कूल) को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जा रहा है, जिसकी कुल परियोजना लागत 27,360 करोड़ रुपये है। कुल परियोजना लागत में वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 18,128 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।
पीएम श्री स्कूल की कई महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं-
• ये स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करेंगे, समय के साथ अनुकरणीय स्कूलों के रूप में उभरेंगे और निकटवर्ती स्कूलों को मार्गदर्शन व नेतृत्व प्रदान करेंगे। वे अपने-अपने क्षेत्रों में एक समान, समावेशी और आनंदमय स्कूल वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में नेतृत्व प्रदान करेंगे, जो विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी जरूरतों और बच्चों की विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखते हुए एनईपी 2020 के विजन के अनुरूप उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनेंगे।
• ये स्कूल मार्गदर्शन कर अपने संबंधित क्षेत्रों के अन्य स्कूलों को नेतृत्व भी प्रदान करेंगे।
• सौर पैनल और एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती के साथ पोषण उद्यान, अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण और जल संचयन, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं या प्रथाओं का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित हैकथॉन और जैविक जीवन शैली को अपनाने के लिए जागरूकता जैसे पर्यावरण-अनुकूल पहलुओं को शामिल करने वाले ग्रीन स्कूलों के रूप में पीएम श्री स्कूलों को विकसित किया जा रहा है।
• इन स्कूलों में अपनाया गया शिक्षाशास्त्र अधिक अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, खेल-खिलौना आधारित (विशेषकर, प्राथमिक वर्षों में) उत्सुकता आधारित, खोज-उन्मुख, शिक्षार्थी-केंद्रित, चर्चा-आधारित, लचीला और मनोरंजक होगा।
• प्रत्येक कक्षा में प्रत्येक बच्चे के सीखने के परिणामों पर ध्यान दिया जाएगा। सभी स्तरों पर मूल्यांकन वैचारिक समझ, वास्तविक जीवन स्थितियों में ज्ञान के अनुप्रयोग और योग्यता पर आधारित होगा।
• प्रत्येक क्षेत्र के लिए उपलब्धता, पर्याप्तता, उपयुक्तता और उपयोग के संदर्भ में उपलब्ध संसाधनों और उनकी प्रभावशीलता एवं उनके प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का आकलन किया जाएगा और कमियों को व्यवस्थित व योजनाबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
• रोजगार क्षमता बढ़ाने और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योग के साथ संपर्क स्थापित कर उचित वातावरण का निर्माण करना है।
• परिणामों को मापने के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को निर्दिष्ट करते हुए एक स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन फ्रेमवर्क भी विकसित किया गया है। अपेक्षित मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नियमित अंतराल पर इन स्कूलों का गुणवत्ता मूल्यांकन किया जाएगा।
लेखक:
डॉ. भारद्वाज शुक्ल
(सहायक प्राध्यापक)
डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स एंड मैनेजमेंट
सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची